लखनऊ । एक समय था जब शहरों की बसावट नदियों के इर्द गिर्द हुआ करती थी, लेकिन उद्योगों की बढ़ती मांग और तेजी से होते विस्तार के चलते नए दौर में औद्योगिक शहरों का चलन बढ़ा है। ऐसे में योगी सरकार ने एक्सप्रेसवे के किनारे नए औद्योगिक नगरों को बसाने का संकल्प लिया है। नोएडा की तर्ज पर बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के करीब नए औद्योगिक शहर को बसाने का ऐलान किया जा चुका है, जबकि आने वाले समय में कई और एक्सप्रेसवे के समीप नए औद्योगिक नगरों को बसाने का ऐलान होने की संभावना है। 
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश देश में सर्वाधिक एक्सप्रेसवे वाला राज्य है। प्रदेश में अभी छह एक्सप्रेसवे संचालित हैं जबकि सात निर्माणाधीन हैं। इन तेज रफ्तार वाले मार्गों के किनारे नये-नये नगरों को डेवलप करने से विकास की रफ्तार कई गुना बढ़ जाएगी। नोएडा की तर्ज पर बनने वाले इन औद्योगिक नगरों में सरकार हर प्रकार के आवश्यक इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप करेगी। प्रत्येक एक्सप्रेसवे के किनारे अलग-अलग औद्योगिक पार्कों को स्थापित करके जहां एक तरफ प्रदेश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने का प्रयास होगा वहीं मौजूदा नगरों पर बढ़ते बोझ को भी कम करने में मदद मिलेगी। उत्तर प्रदेश में अभी पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे, नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे, मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेसवे और यमुना एक्सप्रेसवे क्रियाशील हैं। वहीं गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे, बलिया लिंक एक्सप्रेसवे, गंगा एक्सप्रेसवे, लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे, दिल्ली सहारनपुर देहरादूर एक्सप्रेसवे, गाजियाबाद कानपुर एक्सप्रेसवे और गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे का निर्माण तेज गति से चल रहा है। 
अब सरकार इनके किनारे विभिन्न इंडस्ट्रियल पार्क का निर्माण करने के साथ ही नये नगरों को डेवलप करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नोएडा की तर्ज पर झांसी के पास लगभग 14 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में नये औद्योगिक नगर को स्थापित करने की घोषणा की है। इसके अलावा ललितपुर में उत्तर प्रदेश का पहला फार्मास्युटिकल पार्क भी बनाया जाएगा। इसी तरह यमुना एक्सप्रेसवे पर नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के साथ ही फिल्म सिटी, टॉय पार्क, लॉजिस्टिक पार्क समेत विभिन्न कॉमर्शियल और रेजीडेंशियल स्कीम्स के माध्यम से औद्योगिक नगर की तरह बसाया जा रहा है। आने वाले दिनों में अन्य एक्सप्रेसवेज के किनारे इसी तरह की गतिविधियों को गति दिए जाने की संभावना है। 
उत्तर प्रदेश को 2027 तक वन ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी वाला प्रदेश बनाने में जुटी योगी सरकार  का संकल्प राज्य को इंडस्ट्रियल हब बनाने के साथ ही पूरा होगा। इसके लिए बड़े पैमाने पर लैंड बैंक तैयार हो रहे हैं। राजस्व और चकबंदी के लंबित मामलों के निस्तारण में अप्रत्याशित तेजी के रूप में इसे महसूस किया जा सकता है। 2018 के यूपी इन्वेस्टर्स समिट के जरिए 4.28 लाख करोड़ से अधिक के निवेश धरातल पर उतरने लगे हैं। वहीं 2023 के यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में 38 लाख करोड़ के ऐतिहासिक निवेश प्रस्तावों को भी धरातल पर उतारने में सरकार जी जान से जुटी हुई है। एक्सप्रेसवे के किनारे विभिन्न इंडस्ट्रियल पार्कों के जरिए नये उद्योगों की स्थापना की जाएगी। इनसे जहां रोजगार के अवसर बनेंगे, युवाओं का पलायन रुकेगा वहीं नये नगरों को विकसित करते हुए पुराने शहरों पर बढ़ते बोझ को भी कम किया जा सकेगा। 
उत्तर प्रदेश में जिन बड़े निर्माणाधीन औद्योगिक गतिविधियों की चर्चा हो रही है उनमें हरदोई में रिवॉल्वर फैक्ट्री, कानपुर देहात में प्लास्टिक फैक्ट्री और स्टील रोलिंग मिल, बरेली में मेगा फूड पार्क, ललितपुर में बल्क ड्रग पार्क, नोएडा और गोरखपुर में प्लास्टिक पार्क, वाराणसी और गोरखपुर में चारकोल प्लांट, आगरा, गोरखपुर और कानपुर में फ्लैटेड फैक्ट्री का निर्माण, लखनऊ में ग्रीन कॉरीडोर के जरिए इंडस्ट्रियल कॉरीडोर का विकास, खुर्जा में पॉटरी कॉम्प्लेक्स, नोएडा में इंटरनेशनल फिल्म सिटी, यीडा क्षेत्र में मेडिकल डिवाइस पार्क, लखनऊ हरदोई सीमा पर टेक्सटाइल पार्क का निर्माण, पूर्वांचल लिंक एक्सप्रेसवे के पास पेप्सिको प्लांट, गोरखपुर में ग्रीन अमोनिया प्लांट, गोरखपुर में एथनॉल और डिस्टिलरी प्लांट, वाराणसी में अमूल प्लांट, कन्नौज में देश का पहला परफ्यूम पार्क बड़ी परियोजनाएं हैं, जो तेजी के साथ आकार ले रही हैं। इन बड़ी परियोजनाओं के आकार लेने के साथ ही इनके आसपास बड़े स्तर पर नगरीकरण का कार्य भी होगा।