भोपाल ।   कहने को शहर भोपाल बेगमात की हुकूमत से सजा रहा है। हर कदम पर एक मस्जिद नमाजियों के इंतजार में खड़ी दिखाई देती है। 500 पार मस्जिदों की मौजूदगी में बड़ी तादाद ऐसी भी है, जिनके नाम नवाब बेगमों या महिलाओं के नाम पर हैं। लेकिन, समानता के दौर में महिलाओं के मस्जिद में नमाज पढ़ने की बात आती है तो इसके इंतजाम शून्य ही दिखाई देते हैं। ऐसे में शहर के एक कोने में बड़ी सुसज्जित और आधुनिक सुविधाओं से लैस एक मस्जिद ऐसी भी है, जहां महिलाएं पुरुषों के साथ जमात (सामूहिक नमाज) में शामिल हो सकती हैं। खाली वक्त में आराम, इबादत और तिलावत भी वे यहां परदे के इंतजाम के साथ कर पा रही हैं। एमपी नगर जोन एक स्थित प्रेस कॉम्प्लेक्स में मौजूद है मस्जिद रब्बानी। मीडियाकर्मियों, कमर्शियल लोगों, आसपास के सरकारी दफ्तरों, स्टूडेंट्स और आसपास के रहवासी इलाकों में बसे नौकरी पेशा लोगों के लिए यह मस्जिद मुफीद मानी जाती है। दिन के पांचों वक्तों की नमाज की तुलना में इस मस्जिद में नमाज ए जौहर और जुमा की नमाज में खासी संख्या में नमाजी पहुंचते हैं। 

महिलाओं के लिए खास इंतजाम

मस्जिद रब्बानी शहर की इकलौती ऐसी मस्जिद है, जिसमें महिलाओं के लिए जमात के साथ नमाज अदा करने के खास इंतजाम हैं। मस्जिद रब्बानी की प्रबंधन कमेटी से जुड़े जफर आलम खान बताते हैं कि मस्जिद में महिलाओं के लिए अलग से नमाज पढ़ने के इंतजाम हैं। ये पुरुषों की जमात के साथ अलग हॉल में नमाज अदा करती हैं। महिलाओं के लिए अलग वुजू और आराम के इंतजाम भी यहां हैं। इनके लिए चेंजिंग रूम भी यहां तैयार किए गए हैं। जफर आलम बताते हैं कि मस्जिद के अन्य नमाजियों से हटकर महिलाओं के आने जाने की व्यवस्था की गई है। उनका कहना है कि इस इंतजाम से क्षेत्र में आने वाली कामकाजी महिलाओं, स्टूडेंट्स और नौकरी पेशा लड़कियों को बड़ी राहत मिली है। उनका कहना है कि शुरुआत में महिलाओं की आमद से कम थी। लेकिन, धीरे धीरे इसमें इजाफा हो रहा है और अब हालात यह हैं कि नमाजियों महिलाओं की कई सफ (कतारें) यहां बनने लगी हैं। दोपहर में जौहर की नमाज और शाम को असीर की नमाज में महिलाओं की खास मौजूदगी यहां होती है।

जुटेंगी ये सुविधाएं भी

जफर आलम खान बताते हैं कि मस्जिद रब्बानी में नमाज के वक्त से बाकी बचे खाली समय में कम्यूनिटी सेंटर, लाइब्रेरी, मेडिकल कैंप, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए विशेष क्लासेज शुरू करने की भी योजना है।

पूरे महीने होता है इफ्तार

शहर की मस्जिदों में पूरे रमजान महीने में इफ्तार आयोजन होते हैं। लेकिन, मस्जिद रब्बानी शहर की इकलौती मस्जिद कही जा सकती है, जहां पूरे रमजान महीने में हर दिन बड़ा रोजा इफ्तार होता है। इसमें प्रेस कॉम्प्लेक्स में कार्यरत मीडियाकर्मी, कमर्शियल संस्थानों के संचालक और कर्मचारी, आसपास रहने वाले स्टूडेंट्स और नौकरी पेशा लोग जुटते हैं।

नमाज के इंतजाम यहां भी

एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद ताजुल मसाजिद में भी कुछ साल पहले महिलाओं की नमाज के लिए अलग व्यवस्था कर दी गई है। अलग वुजु खाना और बाथरूम होने के बाद भी महिला और पुरुषों का एक ही आंगन में प्रवेश पर्दा प्रथा की धारणा को पूरा नहीं कर पाता है। इसके अलावा शहर की अन्य कई मस्जिदों में भी पूर्व में नवाब शासन काल में महिलाओं के लिए नमाज पढ़ने की व्यवस्था रही है। इसमें मोती मस्जिद, कुलसुम बिया मस्जिद, पीर गेट वाली मस्जिद आदि शामिल हैं। लेकिन, बदलते दौर के साथ ये व्यवस्थाएं खत्म होती गईं।

शहर में हैं 500 से ज्यादा मस्जिद

नवाब शासन काल में शहर भोपाल में बड़ी तादाद में मस्जिदों का निर्माण कराया गया। नवाब शासन काल की शुरुआत से लेकर दोस्त मोहम्मद खान तक की आमद के दौर में यहां मस्जिदें बनाई गईं। जिनकी तादाद 500 से भी ज्यादा है। नवाब शासन में इन मस्जिदों की देखरेख के लिए एक अलग महकमा काम किया करता था। नवाब रियासत के विलय के दौरान हुए मर्जर एग्रीमेंट में भी इनके इंतजाम का प्रावधान किया गया है। जिसके तहत अब मसाजिद कमेटी इस जिम्मेदारी को संभालती है।