जम्मू । जम्मू-कश्मीर के हालात में पहले की अपेक्षा काफी सुधार आया है, लेकिन अभी भी कुछ क्षेत्र हैं, जो काफी संवेदनशील माने जाते हैं। जैसे एलओसी से लगे राजौरी जिले में कई गांव हैं, जहां आतंक का खतरा बना रहता है। इस साल जनवरी महीने में राजौरी के एक गांव डांगरी में हमला हुआ था। उसके बाद से सुरक्षा बलों की संख्या यहां बढ़ाई गई है, लेकिन गांव वालों के मन में व्याप्त भय को देखकर सीआरपीएफ ने एक अभिनव पहल करते हुए स्थानीय ग्रामीणों को हथियार चलाने का प्रशिक्षण देना शुरू किया जिसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं। स्थानीय लोग बड़ी संख्या में सीआरपीएफ के प्रशिक्षण सत्र में शामिल होते हैं और हथियार चलाना सीखने के बाद उनका आत्मविश्वास बढ़ा है जिसके चलते वह सिर्फ अपने गांवों की ही नहीं बल्कि देश की सुरक्षा करने के लिए तैयार हैं।
आतंकी हमले के पीड़ितों ने धमकी दी है कि अगर सरकार हमलावरों को पकड़ने और उन्हें न्याय दिलाने में नाकाम रही तो वे अपने गांव से किसी ‘सुरक्षित’ जगह पर चले जाएंगे और अनुग्रह राशि वापस कर देने वाले हैं। गौरतलब है कि आतंकवादियों ने एक जनवरी को जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले के डांगरी गांव में हमला किया था और ग्रामीणों को निशाना बनाया था। इस हमले में सात लोगों की मौत हो गई थी जबकि 14 अन्य घायल हो गए थे।