याचिका में कहा गया था कि पंचायत शिक्षक को संविलियन कर एलबी कैडर का गठन किया गया है। जबकि एलबी कैडर के शिक्षकों की वरिष्ठता निर्धारण करने का कोई प्रावधान नहीं बनाया गया। इससे सीनियर शिक्षक जूनियर और जूनियर शिक्षक सीनियर हो गए हैं। 

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट से पदोन्नति के मामले में शिक्षकों को बड़ा झटका मिला है। कोर्ट ने बहुप्रतीक्षित मामले में गुरुवार को निर्णय सुनाते हुए शिक्षकों की याचिका को खारिज कर दिया है। अब शासन के नियमानुसार तीन साल में ही शिक्षकों को पदोन्नति मिलेगी।  शिक्षकों ने इसी नियम के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी और जस्टिस पीपी साहू की डिवीजन बेंच में हुई। 

दरअसल, सरकार ने शिक्षक भर्ती और पदोन्नति नियम 2019 में संशोधन किया था। इसके तहत शिक्षक एलबी संवर्ग को पदोन्नति के लिए पांच साल के स्कूल शिक्षा विभाग में अनुभव का प्रावधान में संशोधन किया गया था। शासन ने कैबिनेट बैठक कर इसके अनुभव की सीमा तीन साल कर दी थी। इसके बाद प्रदेश भर में पदोन्नति की प्रक्रिया शुरू हुई। इसके खिलाफ कुछ नियमित शिक्षकों ने हाईकोर्ट में याचिका लगा दी। 

याचिका में कहा गया था कि पंचायत शिक्षक को संविलियन कर एलबी कैडर का गठन किया गया है। जबकि एलबी कैडर के शिक्षकों की वरिष्ठता निर्धारण करने का कोई प्रावधान नहीं बनाया गया। इसके चलते वरिष्ठता के निर्धारण में दिक्कतें हो रही हैं। इससे सीनियर शिक्षक जूनियर और जूनियर शिक्षक सीनियर हो गए हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि शासन को नियम बनाने का अधिकार है। यह कहते हुए याचिका निराकृत कर दी गई।