शारदेय नवरात्र पर्व इस बार 26 सितंबर से शुरू होगा। समापन पांच अक्टूबर को हवन-पूजन और कन्या भोज के साथ होगा। नवरात्र में देवी दुर्गा की पूजा और साधना होगी। इसके अलावा देवी के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाएगी। हिंदू धर्म में देवी दुर्गा, जो माता पार्वती का ही स्वरूप हैं, उन्हें महाशक्ति के रूप में पूजा जाता है। ज्योतिषाचार्य सुनील चौपड़ा ने बताया कि नवरात्र के दिनों में देवी दुर्गा हिमालय से पृथ्वी लोक में आती हैं और अपने भक्तों के घरों में नौ दिनों के लिए विराजमान होती हैं। नवरात्र के नौ दिनों में देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-आराधना होती है। मां दुर्गा के भक्त इन नौ दिनों में उपवास रखते हुए मां शक्ति की साधना करते हैं।

26 को घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि 26 सितंबर को सुबह तीन बजकर 23 मिनट से शुरू हो जाएगी, जो 27 सितंबर को सुबह तीन बजकर आठ मिनट पर खत्म होगी। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 26 सितंबर को सुबह छह बजकर 11 मिनट से सात बजकर 51 मिनट तक रहेगा। इस दिन अभिजीत मुहूर्त में दोपहर 12 बजकर छह मिनट से 12 बजकर 54 मिनट पर पूजन किया जा सकता है।

मातारानी का इस बार आगमन हाथी पर होगा
ज्योतिषाचार्य डा. सतीश सोनी के अनुसार नवरात्र 26 सितंबर से शुरू हो रहे हैं। इस दौरान माता को प्रसन्न करने के लिए लोग बहुत तरह से उनकी पूजा उपासना करेंगे। इस बात से सभी वाकिफ हैं कि माता की सवारी शेर है, लेकिन नवरात्र में उनके वाहन उनके आगमन के दिनों के अनुसार बदलते रहते हैं। इस बार वाराणसी पंचांग और मिथिला पंचांग के अनुसार माता का आगमन हाथी पर होगा। इसे शुभ माना जा रहा है।

नवरात्र पर बढ़ेगा व्यापार
श्राद्घ समाप्त होते ही नवरात्र के प्रारंभ से बाजारो में रौनक बढ़ेगी। जो लोग श्राद्घ में खरीदी नही कर सके, वे बाजारों की तरफ रुख करेंगे। इन दिनों प्रोपेर्टी की बिक्री बढ़ेगी। इस समय को ज्वेलरी, फर्नीचर खरिदने के लिए उपयुक्त समय माना गया है। शारदेय नवरात्र में खरीदारी के लिए तीन सर्वार्थसिद्घि योग बनेंगे। ये योग 29 सितंबर गुरुवार, 30 सितंबर शुक्रवार और दो अक्टूबर रविवार को बन रहे हैं।