उज्जैन ।  पंचांगीय गणना के अनुसार चैत्र पूर्णिमा पर 6 अप्रैल को 12 साल बाद गुरु आदित्य योग में भगवान हनुमानजी जन्मोत्सव मनाया जाएगा। भगवान का अभिषेक पूजन, श्रृंगार किया जाएगा। अनेक मंदिरों से चल समारोह निकलेंगे। हवन अनुष्ठान के साथ भंडारे के आयोजन होंगे। ज्योतिषियों के अनुसार हनुमान प्राकट्योत्सव पर मंगल, शनि व राहु केतु की अनुकूलता के लिए हनुमानजी की आराधना विशेष फलदायी है। ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला के अनुसार भारतीय ज्योतिष शास्त्र में योग संयोग के अनुक्रम बनते रहते हैं। विशिष्ट पर्व काल पर यदि कोई संयोग बनता है तो उसकी खासियत विशेष हो जाती है। चूंकि हनुमान जी के प्राकट्य दिवस पर गुरु आदित्य का युति संबंध 12 वर्ष बाद बन रहा है, जो अत्यंत ही श्रेष्ठ योग है। ग्रह गोचर की गणना के अनुसार बृहस्पति का एक राशि में गोचर 1 वर्ष का होता है और वर्ष में आने वाला मुख्य त्यौहार भी वर्ष में एक बार ही आता है। इस गणना को दृष्टिगत रखते हुए देखें तो हनुमान जी के प्राकट्य दिवस पर गुरु आदित्य का यह संयोग 12 वर्ष बाद बन रहा है। इसमें विशिष्ट उपासना लाभकारी मानी जाती है। सब सुख लहै तुम्हारी सरना, तुम रक्षक काहू को डरना

मंगल, शनि, राहु केतु की अनुकूलता के लिए करें आराधना

जन्म कुंडली में यदि मंगल, शनि, राहु व केतु विपरीत अवस्था में हो या कष्टकारी हो या इनमें से किसी की महादशा अंतर्दशा या प्रत्यंतर दशा चल रही हो ऐसी स्थिति में अनुकूल परिणाम प्राप्त करने के लिए हनुमान जी के विभिन्न स्तोत्र के पाठ के द्वारा उनकी प्रसन्नता की जा सकती है। शास्त्रीय मान्यता यह भी है कि हनुमानजी की प्रसन्नता से मंगल, शनि, राहु, केतु का अरिष्ट भंग हो जाता है। अर्थात यह चारों ग्रह का प्रभाव सकारात्मक होने लगते हैं। इस दृष्टि से हनुमानजी के विभिन्न स्तोत्र पाठ से उपासना करनी चाहिए।

हस्त नक्षत्र में वैशाख मास का आरंभ

गुरुवार के दिन हस्त नक्षत्र में वैशाख मास का आरंभ हो रहा है। वैशाख मास भगवान महाविष्णु की साधना के मान से बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। इस दौरान तीर्थ यात्रा, भागवत कथा श्रवण, भगवान शिव पर सतत जलधारा अर्पण करने से पितरों की भी कृपा प्राप्त होती है। साथ ही उन्नति के मार्ग खुलते हैं। वैशाख मास में धर्म शास्त्रीय नियमन तथा तीर्थ स्नान करने की भी परंपरा है। कुछ लोग तीर्थ विशेष में कल्पवास करते हैं। गुरुवार के दिन पूर्णिमा का होना सुभीक्षकारी कल्याणकारी माना गया है। धर्म व सनातन वैदिक मान्यता को बढ़ाने वाला समय रहेगा।