भगोड़े अमृतपाल के जालंधर पहुंचने के बाद दोबारा फरार होने के मामले में कुछ और जानकारियां सामने आ रही हैं। पुलिस सूत्रों का कहना है कि मंगलवार की रात को जिस समय पुलिस अमृतपाल को पकड़ने का प्रयास कर रही थी, उस समय एक ऐसा मौका भी आया जब अमृतपाल पुलिस के करीब से निकल गया।

पुलिस के एक डीएसपी के साथ अमृतपाल की नजरें भी मिलीं और इस अधिकारी ने उसे रोकने के लिए भी कहा, लेकिन वह फरार होने में कामयाब रहा। जालंधर से हरियाणा और दिल्ली होते हुए उत्तराखंड तक पहुंचा अमृतपाल सख्ती के कारण सोमवार को ही जालंधर लौट आया था। वह उत्तराखंड से जत्थेदार मोहन सिंह की स्कार्पियो से जालंधर पहुंचा था।

उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड तक फैला भगोड़े का जाल

बताया जा रहा है कि अमृतपाल सिंह चार-पांच दिन से उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी और पीलीभीत बेल्ट में छिपा हुआ था। यही नहीं,नेपाल से सटे उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड बॉर्डर पर सख्ती के कारण वह पंजाब लौट आया है। आशंका है कि अब वह पाकिस्तान जाने की फिराक में है। जालंधर में पकड़ी गई उत्तराखंड के उधम सिंह नगर के नंबर की गाड़ी छह माह से पीलीभीत के पूरनपुर के सेवादार के पास थी। अमरिया पीलीभीत में हुई पूछताछ में इसकी पुष्टि होने के बाद पुलिस जांच कर रही है।

जालंधर में पकड़ी गई गाड़ी के मालिक बढ़ापुर गुरुद्वारा के जत्थेदार मोहन सिंह ने कहा है कि उत्तराखंड से खरीदी गई गाड़ी छह महीने पहले पूरनपुर के सेवादार जोगा सिंह को दे दी थी। अब उसका उपयोग किसने और किस उद्देश्य से किया, यह जत्थेदार जोगा सिंह ही बता सकता है। सूत्रों के मुताबिक पंजाब पुलिस ने उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी से दो संदिग्धों को उठाया है, जिन्हें पंजाब ले जाकर पूछताछ की जा रही है। एसएसपी डा. मंजूनाथ टीसी ने बताया कि ऊधम सिंह नगर नंबर की गाड़ी के संबंध में पुलिस और एजेंसियां पता लगा रही हैं। पीलीभीत पुलिस से भी संपर्क किया गया है।

तरनतारन में अमृतपाल को पकड़ने की थी तैयारी

तरनतारन। भगोड़े अमृतपाल सिंह के तरनतारन जिले में होने की चर्चाएं रहीं। संदेह जताया गया कि वह किसी विवाह समारोह में शामिल होने के लिए खेमकरण क्षेत्र में गया है। एहतियातन पुलिस भी पूरी तरह मुस्तैद रही। तीन लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ भी की गई, परंतु पुलिस के हाथ कोई सुराग नहीं लगा।

दरअसल, खालिस्तान समर्थक जरनैल सिंह भिंडरावाला के करीबी रहे एक परिवार के यहां विवाह समागम 29, 30 मार्च को था। पुलिस को संदेह था कि अलगाववादी अमृतपाल इस विवाह समागम में पहुंच सकता है। पुलिस का सख्त पहरा रहा लेकिन कोई ठोस जानकारी नहीं लग पाई।