हनुमान जयंती हिन्दू पंचांग के अनुसार, प्रति वर्ष चैत्र पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है।

हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार, हनुमान जी का जन्म इसी तिथि को हुआ था। वह भगवान श्रीराम के परमभक्त हैं। मान्यता है कि हनुमान जयंती पर हनुमान जी की पूजा करने से भक्तों के समस्त प्रकार के संकट दूर होते हैं और भूत-पिशाच से छुटकारा मिलता है। हनुमान जयंती के दिन उनके भक्त उनकी विधि-विधान से पूजा करते हैं और व्रत धारण कर उनका आशीर्वाद पाते हैं। आइए जानते हैं हनुमान जयंती 2023 की तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि के साथ कथा के बारे में।

चैत्र पूर्णिमा तिथि - 6 अप्रैल, 2023, गुरुवार
चैत्र पूर्णिमा की तिथि - 5 अप्रैल, बुधवार को सुबह 9 बजकर 19 मिनट
चैत्र पूर्णिमा तिथि का समापन - 6 अप्रैल, गुरुवार को 10 बजकर 4 मिनट

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
हनुमान जी की प्रतिमा को गंगा जल से शुद्ध करें।
उनकी प्रतिमा के समक्ष चौमुखी दीपक जलाएं।
हनुमान जी को गेंदे, हजारा, कनेर, गुलाब के फूल चढ़ाएं।
उन्हें मालपुआ, लड्डू, चूरमा, केला, अमरूद आदि का भोग लगाएं।
हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करें।

पौराणिक मान्यता के अनुसार, बजरंगबली भगवान शिव के 11वें रुद्रवतार हैं। हनुमान जी के पिता सुमेरू पर्वत के वानरराज राजा केसरी और माता अंजनी हैं। हनुमान जी को पवन पुत्र के नाम से भी जाना जाता है और उनके पिता वायु देव भी माने जाते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि अयोध्या नरेश राजा दशरथ ने पुत्र प्राप्ति के लिए हवन कराया था। उन्होंने प्रसाद स्वरूप खीर अपनी तीन रानियों को खिलाया था। थोड़ी खीर एक कौआ लेकर उड़ गया। वहां पर पहुंचा, जहां माता अंजनी शिव तपस्या में लीन थीं। माता अंजनी को जब खीर प्राप्त हुई। उन्होंने भगवान शिवजी के प्रसाद स्वरुप ग्रहण कर लिया। उस प्रसाद को ग्रहण करने के बाद हनुमान जी का जन्म हुआ।