मेला परिक्षेत्र पर रखी जाएगी ड्रोन से नजर

भोपाल । उज्जैन में होने वाले सिंहस्थ 2028 में एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) और ड्रोन तकनीक का भरपूर इस्तेमाल किया जाएगा। बदलते दौर और इन तकनीकों के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए राज्य शासन सिंहस्थ में इसकी छूट देगी। इसलिए लोकसभा चुनाव के बाद राज्य शासन आगामी विधानसभा सत्रों में इसके लिए सिंहस्थ मेला एक्ट में संशोधन करने की तैयारी में है। इस एक्ट में बदलाव को लेकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा गठित टास्क फोर्स कमेटी ने भी सुझाव दिए हैं। इस बीच राज्य सरकार ने सिंहस्थ मेला से पहले प्रयागराज में गंगा नदी पर लगने पर कुंभ मेले और नासिक के कुंभ मेले की व्यवस्थाओं की भी तैयारी कर रखी है और इसके लिए संबंधित राज्यों के अधिकारियों से संवाद कर एमपी में भी जरूरत के हिसाब से व्यवस्था करने के लिए कहा है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव के निर्देश पर सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा सिंहस्थ मेला 2028 की तैयारियों को लेकर दस से अधिक विभागों के अफसरों के साथ टास्क फोर्स कमेटी का गठन किया गया है। इसके लिए नगरीय विकास और आवास विभाग को नोडल एजेंसी बनाया गया है। कमेटी में उज्जैन के कलेक्टर, एसपी और अन्य अधिकारी भी शामिल हैं। सूत्र बताते हैं कि टास्क फोर्स कमेटी की पिछली बैठकों में हुई चर्चा के बाद सिंहस्थ मेला क्षेत्र के लिए जमीन अधिग्रहण की प्लानिंग के साथ मध्यभारत सिंहस्थ मेला एक्ट 1955 में बदलाव के सुझाव भी दिए गए हैं। इसमें कहा गया है कि आने वाले समय के हिसाब से 69 साल पुराने एक्ट में बदलाव किया जाना चाहिए और इसमें अफसरों के अधिकारों का विकेंद्रीकरण करने की भी जरूरत है।

बदलते वक्त के हिसाब से पड़ रही जरूरत


बताया जाता है कि इस एक्ट में बदलाव की खास जरूरत इसलिए भी बताई गई है क्योंकि वर्तमान में एआई, ड्रोन और फास्ट इंटरनेट सर्विस का दौर शुरू हो गया है। ऐसे में पुराने करीब सत्तर साल पुरानी व्यवस्था के आधार पर लागू एक्ट के कई बिन्दु अब प्रासंगिक नहीं रह गए हैं वहीं नई तकनीक और व्यवस्थाओं के आधार पर इसमें बदलाव किया जाना जरूरी है। एआई, ड्रोन जैसी तकनीक आज के दौर में जीवन का अंग बन रही हैं। इसलिए सिंहस्थ 2028 में इसके उपयोग की छूट दिए जाने की सिफारिश टास्क फोर्स कमेटी ने की है। सरकार ने भी इस पर सहमति जताई है और इस कारण मेला एक्ट में संशोधन होना तय माना जा रहा है।

यह व्यवस्था है लागू

सिंहस्थ मेला एक्ट में अभी जो महत्वपूर्ण बातें प्रभावी हैं, उनमें परिवहन व्यवस्था, स्वास्थ्य सेवा, सुरक्षा प्रबंध, दुकानों के आवंटन और व्यवस्था, सडक़ों के रखरखाव, पेयजल और अन्य नागरिक सुविधाओं की व्यवस्था समेत अन्य इंतजाम करने के अधिकार कलेक्टर को हैं। साथ ही कलेक्टर को भूमि अधिग्रहण और मेला क्षेत्र विस्तार के भी अधिकार हैं। इसके साथ ही एक्ट का पालन नहीं होने की दशा में तीन माह की सजा और 200 रुपए के जुर्माने का प्रावधान भी है। अब इसमें व्यापक बदलाव की तैयारी की जा रही है और इसका ड्राफ्ट नगरीय विकास और आवास विभाग द्वारा तैयार कराया जा रहा है कि सिंहस्थ मेला एक्ट में किस तरह के बदलाव किए जा सकते हैं। इस ड्राफ्ट को मोहन कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद विधानसभा में विधेयक लाकर मंजूरी दी जाएगी।


अभी विभागों से सुझाव मांगे


नगरीय विकास विभाग के अफसरों के अनुसार अभी आचार संहिता प्रभावी है। इसलिए जनप्रतिनिधियों से बैठकें और चर्चा कर सुझाव नहीं लिए जा रहे लेकिन संबंधित विभागों से इसको लेकर सुझाव मांगे गए हैं। साथ ही सिंहस्थ 2028 के मद्देनजर प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट (पीएमयू), आईटी सेल तथा नगरीय विकास विभाग में एक अलग सेल बनाई जा रही है। एक्ट में बदलाव के पहले जनप्रतिनिधियों के भी सुझाव लिए जाएंगे।