मायानगरी मुंबई में रोज हजारों लोग लाखों सपने लेकर आते हैं। कोई एक्टर, कोई डायरेक्टर तो किसी को नाम कमाने की भूख होती है, लेकिन शायद ही कोई हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में विलेन बनने का सपना संजोता है। बॉलीवुड के सबसे लोकप्रिय विलेन की बात करें तो अमरीश पुरी को कोई रिप्लेस नहीं कर सकता है। उन्होंने 40 की उम्र में फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा और छा गए। देखते- देखते ही अमरीश पुरी बॉलीवुड के नंबर वन विलेन बन गए। हालांकि, इस सफलता के पीछे उन्होंने खूब खून-पसीना भी बहाया। यहां तक कि अपनी जमी जमाई सरकारी नौकरी को भी छोड़ दिया था।

अमरीश पुरी की सरकारी नौकरी

अमरीश पुरी ने 21 सालों तक कर्मचारी बीमा निगम में बतौर क्लर्क काम किया था। रोजी-रोटी कमाने के साथ-साथ अमरीश पुरी ने अपने एक्टर बनने के सपने को भी जिंदा रखा। वो नौकरी के साथ-साथ थिएटर भी करते थे। जहां से उन्होंने एक्टिंग की बारीकियां सीखी।

एक्टर बनने के सपने को यूं रखा जिंदा

अमरीश पुरी पृथ्वी थिएटर में काम करते थे और सत्यदेव दुबे के लिखे प्ले में एक्टिंग करते थे। लंबे समय तक चले संघर्ष के बाद आखिरकार एक दिन किस्मत ने अमरीश की मेहनत के आगे घुटने टेक ही दिए। 40 साल की उम्र के करीब उन्हें बॉलीवुड में एंट्री करने का मौका मिला।

40 साल की उम्र में मिला ब्रेक

कुछ फिल्में करने के बाद ही अमरीश पुरी ने लोगों का ध्यान खींचना शुरू कर दिया। 1971 में आई फिल्म रेशमा और शेरा में अमरीश पुरी की एक्टिंग ने उन्हें लाइमलाइट में ला दिया। फिर क्या था भारी आवाज, गुस्सैल आंखें और रौबदार अंदाज ने अमरीश पुरी के खलनायक अवतार को ऐसा सूट किया कि उन्हें बॉलीवुड का मोस्ट आइकोनिक विलेन बना दिया।

शानदार एक्टिंग ने बनाया अमर

मोगैंबो खुश हुआ, जा सिमरन जा...अमरीश पुरी के बोले गए कुछ ऐसे डायलॉग है जिन्होंने अमरीश पुरी को अमर बना दिया। उन्होंने गदर, नागिन, घायल, कोयला, मिस्टर इंडिया, दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे, करण- अर्जुन, इलाका, दामिनी और चाची 420 समेत ना जाने कितनी यादगार फिल्मों में काम किया है।