भोपाल। भोपाल की हुजूर विधानसभा सीट से मौजूदा विधायक रामेश्वर शर्मा की जगह इस बार भाजपा के प्रदेश महामंत्री भगवान दास सबनानी प्रबल दावेदार माने जा रहे थे। लेकिन फिर भाजपा द्वारा इस सीट पर रामेश्वर शर्मा उम्मीदवार घोषित कर दिए गए। इसका खामियाजा विधानसभा चुनाव में भाजपा को सिंधी समाज के आक्रोश के रूप में न उठाना पड़े इसके लिए भाजपा सिंधी नेता एवं सांसद शंकरलाल लालवानी को इंदौर के विधानसभा क्रमांक-पांच से चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी कर रही है।

भाजपा सूत्रों का कहना है कि प्रदेश भर में सिंधी समाज की 3 लाख से ज्यादा आबादी है। इसमें से अकेले बैरागढ़ (भोपाल) में 50 हजार और इंदौर में 1 लाख से ज्यादा सिंधियों की आबादी है। धनबल से संपन्न सिंधी समाज विधानसभा चुनाव में भाजपा की बड़ी ताकत रही है। ऐसे में भाजपा के रणनीतिकारों को भय है कि सिंधी समाज को प्रतिनिधित्व नहीं मिला तो, विधानसभा चुनाव में पार्टी को बड़ा नुकसान हो सकता है। भाजपा के सूत्रों के कहना है कि भाजपा के प्रदेश महामंत्री भगवान दास सबनानी और सांसद शंकरलाल लालवानी दोनों की प्रदेश के सिंधी समाज पर खासी पकड़ है। दोनों सिंधियों के बड़े नेता के तौर पर जाने जाते हैं। ऐसे में विधानसभा चुनाव में सिंधी समाज के समर्थन के लिए दोनों में से किसी एक सिंधी नेता को विधानसभा चुनाव लड़ाना पार्टी की मजबूरी है। चूंकि राजनीतिक परिस्थितिवश पार्टी को भगवानदास सबनानी का टिकट कटाना पड़ा है। इसलिए माना जा रहा है कि पार्टी प्रदेश के सिंधी समाज को साधने के लिए भाजपा सांसद शंकरलाल लालवानी को विधानसभा चुनाव मैदान में उतार सकती है। पार्टी शंकरलाल लालवानी को इंदौर की विधानसभा सीट क्रमांक-पांच से चुनाव लड़ाने की तैयारी कर रही है। अभी इस सीट पर भाजपा के महेंद्र हार्डिया विधायक हैं। तथा पार्टी में तमाम अंतरविरोधों के चलते भाजपा ने इस सीट को होल्ड पर रखा हुआ है।

सिंधियों को साधना भाजपा की मजबूरी
पार्टी का सूत्रों का कहना है कि भगवान दास के टिकट कटने से भोपाल हुजूर विधानसभा सीट से तीसरी बार भाजपा उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतरे रामेश्वर शर्मा को बैरागढ़ में सिंधी समाज की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है। इसके लिए बैरागढ़ सहित प्रदेशभर के सिंधी समाज को साधना भाजपा की बड़ी मजबूरी बन गया है। हालांकि 2018 के विधानसभा चुनाव में रामेश्वर शर्मा जीत गए थे, लेकिन बैरागढ़ का सिंधी समाज रामेश्वर का बायकाट कर कांग्रेस के साथ खड़ा दिखाई दिया था। बताते हैं कि यदि कोलार क्षेत्र से लीड नहीं मिली होती तो रामेश्वर चुनाव हार जाते।