एका के सर्राफ से अंतरराज्यीय गिरोह ने 64 लाख रुपये की ठगी कर ली। इसका सरगना उनसे भारतीय रिजर्व बैंक का अधिकारी बनकर मिलता था। पुलिस ने सरगना और उसके दो साथियों को गिरफ्तार कर लाखों का माल बरामद कर लिया है। वहीं छह सदस्य भागे हुए हैं। इनमें एक सीआरपीएफ का जवान भी शामिल है।

ठगी की शुरूआत 27 मई से हुई। एका थाने के निकट रहने वाले राहुल गुप्ता की पास में ही आरजी ज्वैलर्स के नाम से दुकान है। गांव फरैंदा निवासी नरेश कुमार उनका ग्राहक है। उसी ने उन्हें एनजीओ बनवाने और फंडिंग कराने का लालच दिया। पहले कुछ लोगों से फोन पर बात कराई। फिर 28 जून को हाथरस के गांव अनगदा थाना सादाबाद निवासी दीपेश चौधरी और संजीव से मुलाकात कराई। इसके बाद तीन जुलाई को गुरुग्राम बुलाया।

वहां एक होटल में गिरोह के सरगना अमित कुमार मुटरेजा निवसी जवाहर नगर जयपुर, राजस्थान से यह कहकर बात कराई कि वह आरबीआइ में आइआरएस अधिकारी हैं। उसका नाम भी प्रद्मन सिंह बताया गया। 12 जुलाई को फिर से बुलाया गया। इस दौरान आरोपितों ने राहुल से 64 लाख रुपये की नगदी और आभूषण ले लिए थे। बदले में एनजीओ के फर्जी कागजात और कुछ चेक दे दिए।

13 जुलाई की सुबह गुरुग्राम के होटल में ही दूसरी बैठ हुई तो उसमें शातिरों ने फिर से रुपयों की मांग की तो उन्हें शक हो गया। उन्होंने दिल्ली में रहने वाले एक रिश्तेदार को बुलाकर कागजात दिखाई तो उन्होंने भी संदेह जताया। इस दौरान आरोपित वहां से निकल गए। राहुल ने बताया कि वे आरबीआइ गई तो असलियत सामने आ गई। एका लौटकर उन्होंने इसकी प्राथमिकी दर्ज कराई।

एसपी ग्रामीण कुमार ने बताया कि सर्विसलांस टीम लगाकर अमित मुटरेजा, सुनील और दीपेश चौधरी को गिरफ्तार कर लिया गया है। इसके पास से 35 लाख रुपये सामान पकड़ा है, जिनमें दो लग्जरी कारें और चार लाख नगद शामिल हैं। गिरोह की सदस्य देवयानी उर्फ वंदना निवासी दिल्ली, नरेश, संजीव, राजस्थान के चुरु निवासी रामदेव जाट उसके भाई ओमप्रकाश और अलवर निवासी ओमकार को भी नामजद किया गया है।

इन्हें भी जल्द पकड़ा जाएगा। गिरोह इससे पहले दिल्ली में फर्जी नौकरी के नाम पर ठगी कर चुका है। अमित पर मेरठ के थाना कंकरखेड़ा में वर्ष 2021 में प्राथमिकी दर्ज हुई थी। दीपेश दिल्ली में उसके यहां कंप्यूटर की कोचिंग करने गया था। बाद में दोनों मिलकर फर्जीवाड़ा करने लगे। तीन-चार दिन में ही 12-13 लाख रुपये खर्च कर दिए।