बेरोजगारों की मजबूरी का फायदा उठा काला कारोबार करने वाले अपनी तिजोरियां भर रहे हैं। दूसरी और इनकी करतूतों के कारण निरपराध पुलिस व आयकर की कार्रवाई झेल रहे हैं।

गुरुवार को आयकर विभाग की टीम ने सरायढेला के मोनू कुमार के यहां रेड की। उससे नौकरी दिलाने के नाम पर आधार व पैन कार्ड जमशेदपुर के अमित अग्रवाल के सिंडिकेट ने लिया था। उससे जीएसटी में रजिट्रेशन कराकर फर्जी शेल कंपनी बनाई। 70.5 करोड़ की एकमुश्त बोगस खरीद-बिक्री की।

कुल 75 करोड़ रुपये की खरीद-बिक्री बोगस इनवायस से की। फिर सिंडिकेट ने जीएसटी इनपुट अपने खाते में ट्रांसफर कराया। तीन माह तक यह खेल चला, मोनू को भनक भी नहीं लगी। मोनू के एक दोस्त राजू का भी आधार-पैन कार्ड लेकर ढाई करोड़ रुपये की बोगस इनवायस काटी गई। इसका इनपुट क्रेडिट भी सिंडिकेट ने लिया।

नौकरी दिलाने के नाम पर फ्रॉड

राजू को भी इसकी जानकारी तब लगी, जब आयकर विभाग की टीम उसके पास पहुंची। जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कराकर बोगस खरीद-बिक्री के माध्यम से इनपुट क्रेडिट लेने का तगड़ा खेल चल रहा है।

मोनू ने आयकर विभाग के अधिकारियों को बताया है कि एक जान पहचान वाले सत्यम कुमार सिंह ने नौकरी दिलाने के नाम पर आधार-पैन कार्ड लिया था। इसके बाद आयकर अधिकारी आरके गर्ग और उनकी टीम ने पूरी जांच रिपोर्ट मुख्यालय भेजी है।

इसमें स्पष्ट किया है कि मोनू जोमैटो में बतौर डिलीवरी ब्वाय काम करता है। उसके पिता राज मिस्त्री हैं। मां दूसरों के घरों में काम कर परिवार को सहयोग करती है। करोड़ों के लेनदेन में मोनू को एक रुपया भी नहीं मिला है। उसके पिता के खाते में 150 रुपये और मोनू के खाते में करीब दो हजार रुपये हैं।

नौकरी दिलाने के नाम पर फ्रॉड

राजू को भी इसकी जानकारी तब लगी, जब आयकर विभाग की टीम उसके पास पहुंची। जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कराकर बोगस खरीद-बिक्री के माध्यम से इनपुट क्रेडिट लेने का तगड़ा खेल चल रहा है।

मोनू ने आयकर विभाग के अधिकारियों को बताया है कि एक जान पहचान वाले सत्यम कुमार सिंह ने नौकरी दिलाने के नाम पर आधार-पैन कार्ड लिया था। इसके बाद आयकर अधिकारी आरके गर्ग और उनकी टीम ने पूरी जांच रिपोर्ट मुख्यालय भेजी है।

इसमें स्पष्ट किया है कि मोनू जोमैटो में बतौर डिलीवरी ब्वाय काम करता है। उसके पिता राज मिस्त्री हैं। मां दूसरों के घरों में काम कर परिवार को सहयोग करती है। करोड़ों के लेनदेन में मोनू को एक रुपया भी नहीं मिला है। उसके पिता के खाते में 150 रुपये और मोनू के खाते में करीब दो हजार रुपये हैं।

मास्क चेकिंग की नौकरी का दिया था लालच

मोनू शहर के एक कालेज में स्नातक प्रथम वर्ष का छात्र है। लाकडाउन के पहले से फूड डिलीवरी ब्वाय का काम करता है। इससे पढ़ाई का खर्च निकालने के साथ घर में भी मदद करता है। आयकर अधिकारियों ने बताया कि कोरोना काल में लाकडाउन के समय मोनू की नौकरी चली गई थी।

तब सरायढेला के सत्यम कुमार सिंह ने मोनू, राजू समेत चार-पांच युवाओं से नौकरी दिलाने के नाम पर आधार और पैन कार्ड लिया था। जो जमशेदपुर के अमित अग्रवाल के सिंडिकेट से जुड़ा था। सत्यम ने इन युवकों को बताया था कि बिग बाजार के पास से मास्क न पहनकर गुजरने वालों की जांच करनी है।

इसके लिए प्रतिमाह दस हजार रुपये मिलेंगे। कुछ दिन बाद सत्यम ने बताया कि संबंधित कंपनी ने योजना बंद कर दी है। इसलिए नौकरी नहीं हो सकेगी। लाकडाउन खत्म होने के बाद मोनू दोबारा फूड डिलीवरी ब्वाय का काम करने लगा।

तभी साइबर कैफे में किसी काम से गया तो पता चला कि उसके आधार से जीएसटी रजिस्ट्रेशन हुआ है। कई करोड़ की खरीद-बिक्री दिख रही है। तब उसकी जानकारी एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट को लिखित रूप से उसने दे दी थी।

ऐसे बचाएं अपने पैन का दुरुपयोग

आयकर अधिकारियों के अनुसार पैन नंबर के दुरुपयोग के बारे में सभी को समझना जरूरी है। इसकी जानकारी व आशंका के समाधान के लिए service.gst.in की मदद ले सकते हैं। यहां जाकर सर्च टैक्स पेयर के आप्शन में पैन नंबर डालकर चेक कर सकते हैं।