शहर में राजगुरू नगर में हुई लूट की वारदात के बाद कैश कलेक्शन वैन की सीसीटीवी फुटेज वायरल हो रही है। इसमें लुटेरे कंपनी की ही वैन को लेकर जाते हुए दिखाई दिए हैं। पुलिस के हाथ इसके सिवा और कोई सबूत अभी तक नहीं लगा है। पुलिस के लिए सबसे कमजोर कड़ी फिरोजपुर रोड पर चल रहे एलीवेटिड रोड के कार्य के कारण यहां से हटाए गए सेफ सिटी प्रोजेक्ट के कैमरे हैं। अगर यहां पर सेफ सिटी प्रोजेक्ट के कैमरे चलते होते तो पुलिस के पास फ्रंट सीट पर बैठे आरोपितों का हुलिया भी होता। मगर पुलिस अब गांव पंडोरी से आगे का क्राइम ट्रैक नहीं बना पा रही है। वह लोग वहां से पैदल अलग-अलग हुए हैं, क्योंकि पुलिस के हाथ अभी तक किसी अन्य गाड़ी की फुटेज हाथ नहीं लगी है इसके अलावा, पुलिस अब तक 100 से भी ज्यादा प्राइवेट सीसीटीवी कैमरे चेक कर चुकी है और लुटेरों का पता लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं। लुटेरे कार्यालय के अंदर की डीवीआर अपने साथ ले गए थे। पुलिस के हाथ लगी सीसीटीवी फुटेज सामने निर्माणाधीन घर में लगे सीसीटीवी कैमरों से ली गई है। जिसमें लुटेरे कैश कलेक्शन वैन को ईशमीत एकेडमी की तरफ ले जाते हुए दिखाई दे रहे हैं।

सीएमएस कंपनी के कार्यालय में हुई है 7 करोड़ की लूट

बता दें कि शुक्रवार देर रात दस लुटेरों ने कंपनी के मुलाजिमों को बंधक बनाकर वहां से करीबन 7 करोड़ रुपए लूट लिए थे। वह अपने साथ कंपनी की कैश कलेक्शन वैन, तीन हथियार लेकर फरार हुए थे। वह हथियारों को गाड़ी में छोड़कर पंडोरी गांव में जाकर लापता हो गए थे। अब पुलिस उनका पता लगाने के प्रयास कर रही है। पुलिस की तरफ से पूरी रात उन पांच लोगों से पूछताछ की गई है जो मौके के चश्मदीद गवाह भी थे।

पहले रेकी की और घटना के समय भी गाइड कर रहा था मददगार

पूरी घटना को कई दिन की रेकी के बाद अंजाम दिया गया है, क्योंकि लूट करने आए लुटेरों को कार्यालय के सभी कमरों, सिक्योरिटी सिस्टम और सेंसर साइरन के बारे में पता था। उन्होंने आते ही पहले सेंसर साइरन की तारें काटीं और डीवीआर की तारें काटकर अपने साथ ले गए। यही नहीं, कैश को एक सोची समझी साजिश के तहत ही कैश करेंसी वेस्ट से बाहर रखा गया था, उन्हें पता था कि कैश यहीं पड़ा है ओर उन्होंने वेस्ट को कोई नुक्सान नहीं किया है। यह कंपनी पूरे भारत में कैश कलेक्शन और एटीएम में डालने का काम करती है और उनका इंटरनल सिक्योरिटी सिस्टम भी है और उसे भी चकमा दिया गया है। इतने बड़े स्तर पर कैश कलेक्ट कर एटीएम में डालने वाली कंपनी के कार्यालय संबंधी पुलिस पूरी तरह से अंजान थी। यहां तक कि एरिया में पड़ते थाना सराभा नगर की पुलिस तक को इस संबंधी पता नहीं था। मोहल्ले के लोगों का कहना है कि यहां पर पुलिस की गश्त बिल्कुल भी नहीं होती थी। जबकि इतनी बडी कंपनी के कार्यालय के आस-पास पीसीआर गाड़ी को खड़ा किया जाना चाहिए था। मोहल्ले के लोग भी कंपनी के इस कार्यालय से परेशान थे ओर वह इसकी शिकायत पुलिस के समक्ष करने ही वाले थे कि लूट की वारदात हो गई।

36 साल बाद हुई लूट की इतनी बड़ी वारदात

शहर में 36 साल बाद इतनी बड़ी नगदी लूट की वारदात हुई है। इससे पहले फरवरी 1987 में आतंकवाद के काले दौर में पीएबी बैंक से 5 करोड़ 70 लाख रुपए कैंटर में भरकर ले गए थे। मंजू सिनेमा के साथ स्थित बैंक की ब्रांच से वारदात करने के लिए सौ-सौ के नोटों को कैंटर में भरकर ले जाया गया था। इसके बाद बैंकों से नकदी, कैश वैन लूटने, एटीएम मशीन उखाड़कर ले जाने और सोने पर लोन देने वाली कंपनियों से कई वारदात हो चुकी हैं मगर पुलिस इन्हें सुरक्षा मुहैया करवाने में नाकामयाब साबित हो रही है।