मुंबई की एक विशेष अदालत ने कहा है कि विचाराधीन कैदियों को निर्वस्त्र करके तलाशी लेना गलत है। कोर्ट ने कहा कि यह उनके मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन है। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि जेल के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि कैदियों की तलाशी के लिए स्कैनर और तकनीकी औजारों का इस्तेमाल किया जाए। बता दें कि निर्वस्त्र करके तलाशी लेने के खिलाफ 1993 के मुंबई बम धमाकों के आरोपी अहमद कमाल शेख ने याचिका दायर की थी।महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट (मकोका) के विशेष जज बीडी शेलके ने 10 अप्रैल को यह आदेश दिया। आदेश की विस्तृत कॉपी अब मिली है। अहमद कमाल शेख ने दावा किया कि जब भी कोर्ट की सुनवाई के बाद उसे वापस जेल ले जाया जाता है तो जेल के गार्ड उसे निर्वस्त्र करके तलाशी लेते हैं। आरोप है कि अन्य कैदियों और जेल स्टाफ के सदस्यों के सामने उसे निर्वस्त्र किया जाता है।

कोर्ट ने दिया ये निर्देश

दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि आवेदनकर्ता की शिकायत में कुछ दम तो है क्योंकि कई अन्य आरोपियों ने भी कोर्ट में ऐसी शिकायतें की हैं। विचाराधीन कैदियों को निर्वस्त्र करके तलाशी लेना उसके मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन है। साथ ही यह शर्मसार करने वाला है। गाली गलौज करना भी गलत है। कोर्ट ने केंद्रीय जेल के सुपरिटेंडेंट को निर्देश दिया कि कैदियों की तलाशी के लिए तकनीकी औजार, स्कैनर आदि का इस्तेमाल किया जाए। कोर्ट ने ये भी कहा कि अगर स्कैनर आदि की व्यवस्था नहीं है तो हाथों से भी तलाशी ली जा सकती है लेकिन इस दौरान कैदी को शर्मसार ना किया जाए और उसके साथ बदतमीजी ना की जाए।