कृष्ण के भक्त सदा श्रीकृष्ण को प्रसन्न रखने और उनकी कृपा पाने के लिए पूर्ण श्रद्धा से उनकी पूजा करते हैं. अगर आप भी भगवान श्रीकृष्ण के भक्त हैं तो आपको उनके बारे में ये अवश्य पता होना चाहिए कि भगवान श्रीकृष्ण अपने सिर पर मोरपंख क्यों धारण करते हैं? इसके पीछे कौन सी अनोखी कथा प्रचलित है? आइए जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिष आचार्य विनोद सोनी पौद्दार से.

क्यों धारण करते हैं मोरपंख?
वह मोरपंख के माध्यम से मित्र और शत्रु के बीच भेद को समाप्त करना चाहते हैं. भगवान श्रीकृष्ण के भाई बलराम शेषनाग का अवतार हैं और मोर सांप का शत्रु होता है, जिस कारण श्रीकृष्ण के अनुसार उनके लिए सब समान हैं.

भगवान श्रीकृष्ण अपने सिर पर मोरपंख इसलिए धारण करते हैं क्योंकि मोर इस दुनिया का सबसे पवित्र और सुन्दर पक्षी है. कहा जाता है कि मोर जीवन पर्यंत ब्रह्मचर्य का पालन करता है. माना जाता है कि मोरनी मोर के आंसू पीकर गर्भ धारण करती है, ऐसे में मोर जैसे पवित्र पक्षी को सम्मान देने के लिए श्रीकृष्ण अपने सिर पर मोर का पंख धारण करते हैं.


यह भी माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण की कुंडली में कालसर्प दोष था. कहते हैं इस कारण भी भगवान श्रीकृष्ण अपने सिर पर मोरपंख धारण करते हैं क्योंकि मोरपंख धारण करने से कालसर्प दोष भी दूर होता है.

भगवान कृष्ण ने अपने सिर पर मोरपंख इसलिए भी धारण किया है क्योंकि मोरपंख में कई सारे रंग होते हैं. जो जीवन में सुख और दुःख दोनों ही अवस्थाओं को दर्शाते हैं. ऐसे में जीवन को बिल्कुल मोर पंख की भांति जीना चाहिए. जिसमें हर रंग अर्थात हर अवस्था का होना आवश्यक है. भगवान कृष्ण इसी संदेश के साथ मोरपंख को सिर पर धारण करते हैं.

इसके अतिरिक्त, मान्यता ये भी है कि बालपन में माता यशोदा भगवान श्रीकृष्ण को सजाते समय मोरपंख का उपयोग करती थीं.

कई धर्म ज्ञानियों का मानना है कि मोरपंख भगवान श्रीकृष्ण और राधाजी के प्रेम का प्रतीक चिह्न है. एक बार जब श्रीकृष्ण और राधा जी महारास कर रहे थे, तब उनके साथ मोरों का झुंड भी नाच रहा था.

ऐसे में एक मोर का पंख टूटकर भूमी पर गिर गया, जिसको बाद में श्रीकृष्ण ने अपने सिर पर धारण कर लिया और फिर सदा लगाए रखा.