विधानसभा चुनाव में आदिवासी सुरक्षित सीटों पर भाजपा अपने प्रमुख आदिवासी नेताओं को मैदान में उतारेगी। इनमें वो चेहरे भी शामिल होंगे, जिन्हें हाल ही के लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है। लोहरदगा से चुनाव हारे समीर उरांव और पूर्व सांसद सुदर्शन भगत दोनों को चुनाव लड़ाने की योजना है।

पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा को कोल्हान से किसी विधानसभा सीट पर प्रत्याशी बनाया जाएगा। उनकी पारंपरिक सीट खरसावां से अलावा दूसरी सीट के लिए भी विमर्श हो रहा है।

पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी राजधनवार की सामान्य सीट से ही चुनाव लड़ेंगे। चाईबासा से चुनाव हार चुकीं गीता कोड़ा को भी भाजपा विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाने की योजना बना चुकी है।

इसी तरह भारतीय पुलिस सेवा से त्यागपत्र देकर राजनीति में सक्रिय हुए अरुण उरांव को गुमला जिले की किसी सीट से प्रत्याशी बनाने की संभावना है।

आदिवासी सुरक्षित सीट पर बड़े नाम से होगा असर

मौजूदा विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी के पास मात्र दो आदिवासी सुरक्षित सीट से विधायक हैं। इनमें खूंटी से नीलकंठ सिंह मुंडा और तोरपा से कोचे मुंडा शामिल हैं।

विधानसभा में जीत और राज्य में सरकार बनाने के लिए पार्टी ज्यादा से ज्यादा आदिवासी सुरक्षित सीटों पर जीत की योजना बना रही है।

संताल परगना में सीता सोरेन को अपने पाले में लाने से दुमका और जामा जैसी सुरक्षित सीटों पर भाजपा को बढ़त की उम्मीद है।

दुमका से पूर्व मंत्री लुईस मरांडी और पूर्व सांसद सुनील सोरेन दोनों की दावेदारी है। जुलाई में भाजपा अपने सभी प्रमुख नेताओं के विधानसभा सीट की घोषणा कर सकती है।